रविवार, 4 सितंबर 2011

हमारे प्यारे गुरूजी

पता नहीं क्यों मैं निबंध में फेल हो जाता हूं। हर बार इतना अच्छा लिखता हूं फिर भी...। इस बार हाईस्कूल में ‘हमारे प्यारे गुरूजी’ पर निबंध लिखने के लिए आया था। अब आप देखिए और बताइये—
ईश्वर की एक ऐसी संरचना जिसे देखकर प्राय: बच्चे डर जाते हैं, गुरूजी कहते हैं। गुरूजी के दो पैर, एक नाक, एक मुंह और दो आंखें होती हैं। इनको मास्टर, मास्साब, अध्यापक, प्रोफेसर या सर कहकर पुकारते हैं। इनकी उत्पत्ति रामायण काल से भी पहले की मानी जाती है। उस समय ये जंगलों आदि में नदी किनारे के आश्रमों में पाये जाते थे। तब ये एक साधारण धोती धारण करते थे। छात्र इनके पास आश्रम में रहकर ही शिक्षा ग्रहण करते थे, लेकिन फीस का भुगतान नहीं करते थे। इससे गुरूजी खासे नाराज रहते थे और उनकी रैगिंग स्वयं ही लेते थे। पुरानी खबर है कि आरूणी नाम के एक शिष्य को उसके गुरू ने आधी रात को तेज बारिश में अपने खेत की मेढ़ बनाने भेज दिया। पानी का बहाव बहुत तेज था इसलिए मेढ़ नहीं बन पा रही थी, मगर गुरूजी के डर से वह खुद मेढ़ बनकर वहीं लेट गया। एकलव्य को तो अपने अंगूठे से ही हाथ धोना पड़ गया। भगवान राम और कृष्ण भी इस रैगिंग से अछूते नहीं रह पाए। उस काल में प्रसिद्ध पत्रकार नारद जी को इंटरव्यू के दौरान भगवान राम ने बताया कि हम तो गुरू वशिष्ट की रैगिंग से परेशान हैं। आधी-—आधी रात तक पैर दबवाते रहते हैं।
लेकिन आजकल गुरूओं का ट्रेंड बदल गया है। अब गुरू आधुनिकता की मशीन से बाहर निकलकर आ रहे हैं और गा रहे हैं—धोती कुर्ता छोड़ा, मैंने सूट—बूट डाला...। मुंह में पान मसाला चबाना, सिगरेट पीना इनकी प्रमुख पहचान है। केवल शिक्षा देना ही नहीं बल्कि परीक्षा में पास कराना भी इनकी जिमेदारी होती है। इसके लिए इनके पास अलग से फीस देकर प्राइवेट ट्यूशन पढऩी अनिवार्य होती है। कालेज में ज्यादातर इनका समय दूसरे शिक्षकों के साथ गप्पे मारने, राजनीति पर चर्चा करने, विदेशी संस्कृति की बुराई करने, फिल्मों में दिखाई जा रही अश£ीलता, क्रिकेट मैच में सचिन और धोनी की परफारमेंस पर वाद—विवाद करने में व्यतीत होता है। क्लास में पीरियड लेना ये अपनी शान के खिलाफ समझते हैं।
स्कूल या कालेज में छात्राओं के साथ छेड़छाड़ करना, उन्हें एसएमएस करना, जर्मप्लाज्म की चोरी करना इनकी प्रमुख गतिविधियों में शामिल है। छात्रों को सुधारने के लिए हाथ—पैर तोडऩे के उनके पास विशेषाधिकार प्राप्त हैं। फिल्मों में अभी इन्हें बड़े रोल नहीं मिल पा रहे हैं। फिल्म में ये केवल क्लास में हीरो—हीरोइनों का आपस में परिचय कराने और लेडी टीचरों के साथ इश्क लड़ाने का कार्य करते हैं। दर्शकों को हंसाने में इनका प्रमुख योगदान रहता है। शिक्षकों की ऐसी महानताओं को ध्यान में रखते हुए हम शिक्षक दिवस मनाते हैं। हमें अपने गुरूओं पर गर्व है।

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