शुक्रवार, 20 जुलाई 2012

अपनी बात


लंबे इंतजार के बाद मेरा दूसरा व्यंग्य संग्रह ‘प्रेत की तलाश‘ आपके समक्ष है। वर्ष 2010 में जब मेरा पहला व्यंग्य संग्रह ‘पैकेज का पपलू‘ आया था तो उम्मीद से बेहतर लोगों नेे उसे सराहा। जिससे संबल पाकर और लिखने की ललक जगी। इसलिए अपने हर पाठक को मैं धन्यवाद देना चाहता हूं।
   किताब के लिए मैं आभार जताना चाहूंगा वरिष्ठ व्यंग्यकार श्री हरीश नवल जी, श्री प्रेम जनमेजय जी, श्री सुभाष चंदर जी, श्री लालित्य ललित जी, श्री गिरीश पंकज जी और श्री विनोद शंकर शुक्ल जी का। जो हमेशा से ही पथ प्रदर्शक की तरह मेरे लिए ज्ञान की ज्योति जलाते रहे। मेरे लेखक बनने के पीछे सबसे ज्यादा योगदान कुशाभाउ ठाकरे पत्रकारिता विश्वविद्यालय और कार्टून वॉच पत्रिका का रहा। जिन्होंने प्रोत्साहित कर सदैव आगे बढ़ते रहने को कहा। कार्टून वॉच के संपादक श्री त्रयंबक शर्मा जी हर बार अपनी पत्रिका में स्थान देते रहे और लिखने की इच्छा को हवा देते रहे। इस तरह पत्रकारिता विश्वविद्यालय में कुलपति श्री सच्चिदानंद जोशी जी और विभागाध्यक्ष श्री शाहिद अली जी मेरी साहित्यक गतिविधि को बढ़ावा देते रहे। मेरे पहले व्यंग्य संग्रह ‘पैकेज का पपलू‘ के विमोचन समारोह को उन्हीं ने यादगार बनाया। आशा है कि पिछली बार की तरह यह अंक भी आपको पसंद आएगा।
                                                                    -       गौरव त्रिपाठी


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