~टिकटाक लिजी चिट्ठी~
चुनावनकि धमक पङते ही राजनैतिक पाल्टीयोंक्
सर्वेसर्वा-मुखियान (हाईकमान) धैं टिकट ल्हिणाक् लिजी नेताओंकि होङ मची रै।
चुनाव ब्यवस्थापकोंक (प्रभारियों) पास अच्याल टिकट मांगणी वाल्
दावेदारोंकि चिट्ठीनक खात् लागि रौ। सबै उननकैं मतकौंण में धन बलल् लागी
छन्। इनन में की एक चिट्ठी मैंकें प्रापत भै, जो यौ प्रकारल छ--
माननीय नेता ज्यू
जै भारत
सुणन में ऊना कि म्यार इलाक बटी चुनाव लङन हूँ, भौतै लोगोंल् तुमार
सामणि दावेदारी ठोक राखै, छाङो उनन् कें। तुम त जाणनेरै भया, कि हमर और
तुमर रिश्त भौत पुराण छ। आज लै विधानसभा छेत्र में तुम गुंडागर्दीक जो डर
देखना हा, वु म्यारै वील छ। उमर चाहे जतुक लै हैगै होलि पैं इलाक में
दादागिरी पुरि उसी छ जसि पैली छी। तुमार बाज्यू और मैंन दगाङ-दगाङै पैली
अन्याय फिर राजनैतिक दुणी में खुट धरौ। न मालम कतुक
खून,बलात्कार,अपहरण,चोरि-चकारी करी। हमेशा थाणन् में शिकैत (रिपोर्ट) लेखी
बेर रयी,कभै पुलिस घर तलक न आ सकी। आब त यौ नई-नई नानतिन आगई, जो
छ्वाट-म्वाट टूजी-स्पेक्ट्रम,कौमनवेल्थ और काव् धन जास घोटाल लै भलि ढंगल न
करि सकनैं। फसि जनई और पाल्टीक नाम बन्नाम करनई। हमार जमान् में त सरकारी
डबल कभत खिसिक् बेर जेबन पुजिगो पत्तै न चलनेर भै। मैंकें याद छ भोपाल गैस
कांड। कब कांड भौ कभत वारेन एंडरसन देश छोङिबेर सरकारी शानौशौकताक् दगाङ
न्हैंगै,लोग आज तलक समजि न सक बलकन गजबजाटै में छन। चलौ खैर छोङो यौ सब बात
पुराणी हैगी। सुणन में ऊनौ कि आपूं फिलमी कलाकारन कैं टिकट दिण में भौत
चाव देखूनौछा। अगर येसि वालि बात छ त यौ हिसाबल लै मैं टिकटाक लिजी बिलकुल
फिट छूँ।
आल्लै-आल्लै हमार इलाक में जो महाभारतकि लीला शुरू भै,यमें मैंन
धृतराष्टक रोल निभा। उसिक धृतराष्टक रोल हमार राजनैतिक जीवन में रोजै रूनेर
भै। जनता बचौ या मरौ हम त आँख बंद करि बेर बैठ रूनेर भयां। हमार कौरब रूपी
गुंड शहर में लङै करून,लोगन् में फूट डलूण,जातिवाद फैलूण, आदीन में अघिल
रूनेर भाय। हम सूनसान कौरब और पांडबनक जुवाक खेल में मनमर्जी अर्
अत्याचारों कैं देखनै रूनू। जनता रूपी द्रौपदीक चीरहरण हुनै रूँ और हम आनंद
ल्हिनै रूनू। द्रौपदी त पैलियै पांचाली भै,उकैं थ्वाङ लोगोंन आजी नँगङ करि
हालौ त यमें म्यर के दोष ! यैक अलावा रामलील में रावणक पाठ मैंकें छोङि
क्वे न खेलि सकन्। जो लै चीज म्यार मन ऐजैं,वु चाहे माता सीता हो या
गरीब-गुरीबनकि छानि-छुपरी,झोपड़ीन कें तुङवैबेर आप्वीं हथियै ल्हीयूँ। हर
बारै कि चार यौ बार लै लोगन कैं रुवाट,कपङ,मकानैकि हौसि दिखै राखै। संतै
मुसई और हिंदू भोट मेरि जेब में छन। यैकै वील मैं आंश करूँ कि हर बारैकि
चार यौ बार लै तुम मैंकणी टिकट देला।
......चुलबुल पाण्डे
......हुण-हुण दबंग।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें