शनिवार, 4 फ़रवरी 2017

--पप्पू त रावणेकि सेना में जाल् --

--पप्पू त रावणेकि सेना में जाल् --
    रामलीलक मौसम आते ही मांङण चंद शुरू,धंद शुरू और कटण बंद शुरू हैजाँ। हमार् शहर में पैली एक रामलील हैंछि,अच्याल हर मोहल्ल में हैं। सबनैकि अलग-अलग रामलीला कमेटी। हर कमेटीक अलग-अलग चुनाव। चुनावाक् लिजी हर साल महाभारत। सुणन में ऊना यौ बार रामलील कमेटीक पैलियाक् अध्यक्षल् ऐलाक अध्यक्षाक मलीबै चंद में घपाल करि घोटालक लांछन् लगैबेर भौतै बबाल करौ। ऐलाक वर्तमान अध्यक्षल् लै पैलियाक अध्याक्षाक ऊपर आपण टैमक घोटाल् कैं देखणैकि सीख दी दे। द्वीयानै एक-दुहार कैं खुल्याम सड़क में चप्पलै-चप्पल चपल्या। उनन धैं के न कई जै सकींन,किलैकि राम नामेकि लूट छ। लुटि सकछै लुट,नतरि आँखिरी बखत पछतालै जब पद जाल् छुटि।
  खैर शहराक आठ रामलीलनक् चंद दिणाक बाद एक रामलील कमेटीक अध्यक्ष पेटूराम धैं मैंन कौ- यौ बार म्यर च्यल पप्पू कैं लै रामलील में क्वे पाठ खेलण दिणेकि किरपा करौ। वील झटपट चंदकि रकम दुगुणी करि दी और द्वी हजार रूपैंकि पर्ची काटि दी। मैंन संतोष करौ कि नानतिनन् कैं भाल् संस्कार दिणाक लिजी यतुक त करणै पड़ल। पेटूराम बुलाणी- पप्पू कैं रामैकि सेना में भरती करण छ या रावणैकि? मैंन कौ कि रामैकि सेना ठिक रौलि। मैं भौ कैं भल संस्कारी बणून चाँ। पेटूराम फिर बुलाणी- रामैकि बानरों वालि सेना भलि छ, खर्च पात लै जादा नि लागन। बस एक लाल रङक चमकणी कच्छ पैरण पड़ों हैगै। देखुंन अगर क्वे डंड बचौल त मुगदराक रूप में उकैं लै थमैं दियूंन। विज्ञानाक मुताबिक बानरोंकि पुछड़ि अलोपै हैगै, यैक वील पुछड़िक लै खर्च बचि जाँ। बस जै श्री राम,जै श्री राम बुलाण छ।
  बात चली रैछि कि इतुकै में पप्पू द्वारन धैं ऐगै,सब बात चीत सुणिबेर वील जिद पकड़ि हालि कि उ रावणैकि सेना में भरती ह्वल। पप्पू ल कौ कि मैं कैं रावण काकनैकि चार काव कोट वाल् लुकुड़ पैरण छन्। अगर मैं खाल्ली लाल कच्छ पैरुंन त म्यार मौहल्ल वालि दगड़ू (गलफ्रैंड) स्वीटी मैं परि हँसलि। पप्पू ल खुट दन दन्यून शुरु करि दी। मैंन समजा-च्यलौ एक्कै लुकुड़न में के न धरि राख, ल्याकत, चाल-चलन (चरित्र) असल हुँछ। तूकैं रामक जस बणन् छ, तबै लोग तेरि इजत कराल्। पप्पू बौई (बिदक) ग्ये और कूँण लाग् कि तुम चाँछा भगवान रामैकि चार तुमार कूँण पर मैं जङल न्हैं जाँ और नानू (छोटू) कैं तुम म्यर वीडियो गेम, खेल खिलौण,साइकिल,कम्र सबै चीज दी दियो। मैंन पप्पू कैं फिर समजा- देख च्यलौ यस न बुलान,नानू त्यर भै भ्ये। दुणी समाज के कौल? अखबार में खबर आलि कि "भैन में भै लड़ैं"। पप्पू क्यैलै सुणन हूँ राजि न्हैंती- अखबारौक के छ? जब रावणक भिसूँण (पुतला) नान् आकारक हुँछ तौ कूँनी महंगाई में घटि ग्यो रावणक 'कद', जब आकार ठुल करी जाँ त कूँनी समाज में बुराईयोंक दगाड़-दगाड़ै रावणक लै 'कद' बढिगो। अखबार वालन कैं बस तिलक ताड़ और राईक पहाड़ बणून ऊं। पप्पू आपणि जिद में अड़ि रौछी। उथकै,पेटूराम दुहरी जाग् चंद मांगण अर् पैली आपस मेंई ठैरियूँणेकि बात कै बेर वाँ बटी न्हैं ग्या।
-मूल रचना- गाौरव त्रिपाठी
~राजेंद्र ढैला,काठगोदाम।

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