दोस्त ने कहा-मेरा कोई भाई नहीं है।
मैने कहा आप किस प्रकार के भाई की बात कर रहे है ।
दोस्त हॅसा और बोला-अरे भाई मेरा मतलब सगे भाई से है। जैसे राम का भाई ल़क्षमण,युधिष्ठिर के भाई अर्जुन,भीम।
मैने कहा-अच्छा है तुम्हारा कोई भाई नहीं है,आजकल कलयुग में ऐसे भाई होते कहॉ हैं। अगर ऐसे भाई होते भी है तो बचपन में कुंभ के मेले में बिछुड़ जाते हैं या फिर अपने भाई की प्रेमिका से ही प्रेम कर बैठते हैं।
दोस्त बोला-तुम पर तो लगता है कि फिल्मों का बहुत प्रभाव है इसलिए तुम ऐसी बातें कर रहे हो। हकीकत में भाई बहुत अच्छे होते हैं और अपने बड़े भाई की मदद करते हैैं। देखों राम और लक्षमण दोनों भाईयों में कितना प्रेम था। अपने भाई के लिए लक्षमण ने भी राज्य के सारे सुख छोड़ दिए और राम के साथ जंगल में भटकने चले गए। उनके भाई भरत में भी अपार प्रेम भरा था। उनके भृतत्व प्रेम की तो आज भी कसमें खाई जाती हैं। मैंने कहा-तुम उसी युग के रावण-विभीड्ढण और सुग्रीव-बाली के प्रेम को क्यों भूलते हो।
दोस्त बोला-आप तो हर बात को अन्यथा ही ले लेते हैं।
उनकी बात कुछ और थी,आजकल चोर-चोर मौसेरे भाई होते हैं।
मैंने-समझाया गलतफहमी में मत रहो आजकल के कलयुगी भाई पिता के मरने के तुरंत बटंवारा मांगते हैं। अब मुंबई में धीरू भाई अंबानी के दोनों सुपुत्रों का ही उदाहरण ले लो। जिन्हांेने बटंवारे को लेकर कई महीनों तक देष के अखबारों को गर्म रखा।
दोस्त कुछ देर षंात रहने के बाद बोला-तो आपको क्या लगता है कि भाईयों से बचकर रहना चाहिए। इस बात पर मेरा ध्यान नहीं गया।
मैंने कहा-अरे मुंबई में तो भाई खतरनाक प्राणी होता है। वहां तो खुले आम भाई कहना भी मना है। भाई के नाम से लोग थर-थर कांपते हैं।
दोस्त घबराया और पूछा-क्यों?ऐसा क्या होता है। मुंबई के भाईयों में।
मेैंने कहा-भाई बोले तो मुंबई का डान। जो सुपारी लेकर किसी का मर्डर कर देता है। हमें दाउद और अबू सलेम को नहीं भूलना चाहिए।
दोस्त बोला-लेकिन फिर भी भाई अच्छे होते हैं और मदद भी करते हैं। अगर घर का कोई एक सदस्य मंत्री बन जाएं तो पूरे घर के वारे-न्यारे हो जाते हैं। मैंने कहा-ऐसा क्यों बोलते हो। मंत्रियों में तो सबसे ज्यादा लफड़े हैं। अब राज और उद्धव ठाकरे को ही देख लो। एक दूसरे को गिराने में लगे हैं। प्रमोद महाजन का किस्सा तो भूलने योग्य नहीं है। भाई के चक्कर में उन्हें अपनेें प्राण ही गंवाने पड़े। दोस्त ने मुझसे फिर सिफारिष करते हुए कहा-कुछ भी हो फिल्मों में अभी भी भातृत्व प्रेम बचा है जैसे राम,बलराम,अमर,अकबर और एंथोनी,जयकिषन,चल मेरे भाई, आदि फिल्मों को ही देख लो।
मैने फिर समझाया-अगर एक डान और दूसरा भाई पुलिस ऑफिसर बनता है तो वह तुरंत घर पहंुचता है और पुलिस फाइल दिखाते हुए कहता है,भाई तुम साइन करते हो या नहीं।
डॉन भाई भी कम नहीं रहता वह भी अपने पैसों का रोब झाड़ते हुए कहता है, आज मेरे पास बंगला है,बैंक बैंलेस है,नौकर चाकर हैं,क्या है तुम्हारे पास।
दोस्त घबरा गया और बोला-अब मुझे डर लग रहा है। अच्छा हुआ मेरा का्रेई भाई नहीं,नहीं तो पता नहीं आज मैं आज जिंदा होता भी या नहीं।
गौरव त्रिपाठी
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