शुक्रवार, 22 अक्तूबर 2010

संशोधित गीता के उपदेश

भक्तों के बार-बार तीखे प्रश्नों से त्रस्त पोंगा पंडितों ने इस बार भगवत गीता को ही बदलने का फैसला कर लिया। इसके लिए सभी पोंगा पंडितों की विशाल सभा बुलाई गई। नियत तिथि पर देश के सभी पोंगा-बाबा आदि पहुंच गए।
सभा में अध्यक्षता कर रहे निराशाराम बापू ने सबसे पहले बोलना शुरू किया-संतजनों! समय किसी का नहीं होता। परिवर्तन ही जीवन है। इसलिए समय के अनुसार चीजें बदलती रहनी चाहिए। यह बड़े दुख के कारण कहना पड़ रहा है कि 1950 में बना संविधान जहां कई बार संशोधित हो गया, वहीं लोगों को धर्म का पाठ पढ़ाने वाली भगवत गीता एक बार भी संशोधित नहीं हुई। भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को जो उपदेश दिए वो महाभारत युद्ध करने से पहले के थे। पांडवों को युद्ध के बाद क्या करना चाहिए था ये भगवान श्रीकृष्ण ने बताया ही नहीं। इसी के चलते पांडवों को मोक्ष पाने का सही रास्ता नहीं मिला। अब कलियुग में भक्तों की समस्याएं बढ़ गईं हैं। आए दिन भक्त उल्टे-सीधे प्रश्न पूछते हैं। जिनका उत्तर गीता में घंटों ढूढ़ने पर भी नहीं मिलता। अदालत में भी केवल गीता पर हाथ रखकर कसम खिलवा ली जाती है, यह नहीं देखा जाता कि गीता के उपदेश कितने पुराने हो गए हैं। इसके संशोधन के लिए आदेश दिया जाय। इसलिए अब हमें खुद इस काम के लिए आगे आना होगा। गीता में संशोधन के लिए सभी के विचार आमंत्रित हैं। इतना कहकर निराशाराम जी बैठ गए। अब पोंगा पंडित महासभा के अध्यक्ष अनियमिततानंद स्वामी खड़े हुए- हे साधू! गीता में श्रीकृष्ण ने कहा है कि कर्म करो, फल की इच्छा मत करो। ये बात वर्तमान परिवेश में ठीक नहीं बैठती। कर्म हम करें और फल दूसरा खाए। इस उपदेश को जिसे सुना दो वह साधुओं के पास दोबारा नहीं लौटता। आजकल वैसे भी लोग बिना कर्म किए ही फल की इच्छा रखते हैं। सभी केवल लाटरी का नंबर पूछने आते हैं। बस एक बार लग जाए तो पूरी जिंदगी आराम ही आराम। इसलिए इस उपदेश को तत्काल प्रभाव से हटाना होगा।
इसके बाद दूसरे संत बाबा कामदेव ने हाथ जोड़कर अपने विचार रखना शुरू किये-संत जनों वेद-पुराणों को पढ़कर हम लोगों को सत्य बोलने को कहते हैं। लेकिन ऐसा अब संभव नहीं है। कलियुग में झूठ बोलना आम आदमी की मजबूरी ही नहीं बल्कि जरूरत भी है। आफिस में अगर आदमी झूठ न बोले कि उसकी पत्नी बीमार है तो उसे छुट्टी कैसे मिलेगी? अदालत में वकील झूठे गवाह या सबूत नहीं पेश करेगा तो वह मुकदमा कैसे जीतेगा? डॉक्टर अगर मामूली बुखार को टायफाइड बताकर मरीज से पैसे नहीं ऐंठेगा तो उसकी दुकान कैसे चलेगी? नेता अगर जनता से झूठे वादे नहीं करेगा तो वह चुनाव कैसे जीतेगा? कोई लड़का अगर किसी लड़की से झूठ नहीं बोलेगा तो वह अपनी चार-चार गर्लफ्रेंडों को मेंटेन कैसे करेगा? इसलिए इस कथन को बंद करना मानवहित में है। इस बार सबसे बड़े बाबा श्री श्री 2010 बाबा हवाईजहाज ने प्रवचन शुरू किया-भक्तजनों...। चारों तरफ महात्माओं को देखकर तुरंत बाबा गलती सुधारते हुए दोबारा बोले-क्षमा कीजिएगा श्रीमन्! दिनभर एक ही जैसा प्रवचन देते-देते आदत सी बन गई है। खैर हम लोग भारतवासियों को आपस में भाई-बहन ही बताते रह गए और महाराष्ट्र में राज ठाकरे मराठी मानुषों का राज बताकर सारी पब्लिसिटी ले गया। हमसे प्रवचन सुनने केवल बूढ़ी औरतें आती हैं। उधर, एकता कपूर ने घर में कलह और साजिश के नाटक दिखा-दिखाकर सारी जवान औरतों को अपनी तरफ खींच लिया। हम लोगों को अपने अंदर की शांति ढूंढ़ने का ही संदेश देते रहे। अब कदम उठाने ही पड़ेंगे। बहुत हो गयीं भाईचारे की बातें, आत्मसंतुष्टि का पपलू, सहनशीलता की सीमा।
सभा के खत्म होने के बाद गीता में संशोधन करने के 11 पोंगा पंडितों की टीम गठित की गई। टीम ने पांच सालों की कड़ी मेहनत के बाद “संशोधित गीता के उपदेश” नाम से नया ग्रंथ बाजार में उतारा। ग्रंथ के कुछ महत्वपूर्ण अंश यहां दिए जा रहे हैं:
0 काम करके कोई राजा नहीं बना है इसलिए फल की इच्छा ही सब कुछ है। फल प्राप्त करने के लिए अगर किसी को रिश्वत देनी/लेनी या घोटला करना पड़े तो चूकना नहीं चाहिए।
0 झूठ बोलना कोई पाप नहीं है बल्कि काम आसान करने की युक्ति है। सतयुग में अगर हरिश्चंद्र झूठ बोल देते तो उन्हें अपना राजपाठ नहीं गंवाना पड़ता। जिंदगी भर सत्यवादी बनकर घूमते रहे क्या उखाड़ लिया। थोड़ा सा झूठ बोल देते तो जिंदगी भर राजपाठ का सुख भोगते और मरने से पहले एक बार गंगा नहा लेते तो सारे पाप धुल जाते।
0 पड़ोसी को सुखी देख जलना सीखो और उसे गड्ढे में धकेलने के हरसंभव प्रयास करो। जीवन में यदि आप सुखी नहीं हैं, तो आपके पड़ोसी को भी सुखी रहने का कोई हक नहीं।
0 परोपकार करना साधारण मनुष्य का कर्म नहीं है। इसलिए परोपकार का काम ईश्वर पर छोड़ देना चाहिए। मनुष्य को हर काम में अपना लाभ देखना चाहिए।
0 किसी भी व्यक्ति का तब तक साथ देना चाहिए, जब तक उससे काम निकलता रहे। काम निकलने के बाद तुरंत अपना रंग बदल लेना चाहिए।
0 जैसा कि पुरानी गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने कहा है कि दुश्मन सिर्फ दुश्मन होता है चाहें वो अपना सगा संबंधी ही क्यों न हो। अब नई गीता में दुश्मनों का दायरा और भी बढ़ा दिया गया है। अब जमीन जायदाद को लेकर अगर माता-पिता या पत्नी ही क्यों न रास्ते में न आ रही हो। उसे हटाने से चूकना नहीं चाहिए।
स्थान अभाव के कारण सभी उपदेश नहीं लिखे जा सकते इसलिए पूरी जानकारी के लिए संशोधित गीता के उपदेश बाजार से खरीदकर पढ़ें।
धन्यवाद!

गौरव त्रिपाठी (उपसंपादक)
अमर उजाला, मानपुर पश्चिम
हल्द्वानी, जिला नैनीताल
उत्तराखंड
9411913230

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