~फ्यासबुक में ग्यानैकि ढूँनखोज~
फ्यासबुक आज मनखी जीवनक् खास अंग छ। नानतिन आपण इस्कूली
किताब पढौ चाहे न पढौ, पैं ब्याव तलक पाँच छै बेरा फ्यासबुकाक् अपडेट क्वे
लै हालतन् में पढी ल्हिनी। च्याल् यकैं चेलियांन् कैं पटूँण हुणि भौतै
मधतगार माननी। अगर क्वे चेलिल मितरामी अनुरोध मंजूर {फ्रैण्ड रिक्वेस्ट
एक्सेप्ट} करि हाली त समझो आदुक आंदोलन पुर हैगो। फ्यासबुकल लोगनाक भितेर
लुकी कारीगरी लै भ्यार निकाई है। यैकै वील कतू लोग फोटूग्राफर त कतू लोग
लेखक,साहित्यकार बणि गई। जैकि लै दिवाल {फेसबुक वॉल} में देखछा कविता,शायरी
और दरशन देखण हूँ मिलना। लाईक और कमिंट पाणाक् लिजी लोग के नि करनै?
अस्पताव में खून दिण बखत,शहरैकि साप-सफाई करण बखत, फोटुक खैंचूंनई।
जबरदस्ती पैंस फुकिबेर घूमण {हॉलीडे} हूँ जानई। आफी आपणि मजाग बणूनी वालि
फोटुक लै पोस्ट करनई। फ्यासबुक आब राजनीति में लै भौतै खास भूमिका निभूंण
लागि रौ। यमें पार्टियों क गठन तलक है जानई। यैल मुख्यमंत्री बणीं जै सकनौ।
अरविंद केजरीवाल ज्यू यैक एक भाल् उदाहरण छन्। उनन् कैंईं देखिबेर और दल
लै फ्यासबुक में आपण दांव अजमूण लाग रई। पैं उनार पचाङ वी पुराण छन्। जैक
वील उ धार्मिक भावना भङकै बेर कतू झगङ-फसाद {दंग} करूँण में कामयाब हई और
हाव् कैं उनून आपणि तरबै हूँ मोङौ। यैकै लिजी यैक एक नाम फसाद बुक लै धरि
दी गो। मल्लब 'करौ क्वे भरौ क्वे'। पैली यौ केवल अमीरोंकै अमीरीक निशाण छी।
आब सब मुबाईलन् में इंटरनेटैकि क्रांतील यकैं भौतै गरीब-गुरीबन् तलक लै
पुजा हालौ। इनन् में रिक्शवाल् ,झाङ् प्वछ वाल् नौकर-नौकरानी,भिकारि सबै
शामिल छन्। लोगन् कैं देखि-देखिबेर, यौ लै आपण मनाक भावन कैं कविताओंल
सामणी धरण फै गई।
याँ कुछेक लोग-बागनैकि दिवाल में करी पोस्टोंकि जानकारी दिण ठिक रौलि...
सबन् हैं पैली रिक्शवालाक् दिवाल में लेखी शायरी--
* रत्तै-रत्तै द्वी पैग लगैबेर रिक्श चलूण में बङ माज् ऊँ,
पैं जब बैठें पछिल मोटि-मोटि सवारी, सारै दम जानै रूँ।
याँ कुछेक लोग-बागनैकि दिवाल में करी पोस्टोंकि जानकारी दिण ठिक रौलि...
सबन् हैं पैली रिक्शवालाक् दिवाल में लेखी शायरी--
* रत्तै-रत्तै द्वी पैग लगैबेर रिक्श चलूण में बङ माज् ऊँ,
पैं जब बैठें पछिल मोटि-मोटि सवारी, सारै दम जानै रूँ।
एक नौकराणिक खात् में लेखी छी...
* आजकल हमरि मीम सैब पार्टियों में बिजी छ।
तबै त सैप कैं शुकून, म्यर काम ईजी छ।।
यै मेंई आई यक कमिंट..
हमूंन त रोज करण भै चूल्हा चौक।
पैं सैप कैं पटूंणक्,यौ छ भल मौक।।
* आजकल हमरि मीम सैब पार्टियों में बिजी छ।
तबै त सैप कैं शुकून, म्यर काम ईजी छ।।
यै मेंई आई यक कमिंट..
हमूंन त रोज करण भै चूल्हा चौक।
पैं सैप कैं पटूंणक्,यौ छ भल मौक।।
भारताक् भिकारि रोजै बदलावकारी रई छन्। उनरी एक पोस्ट....
* चौराई में बैठी-बैठी,कमर टेढि हैगै।
पैं द्वी रूपैं दिण में,यौ अमीरोंकि आम् मरिगै।
{खबरदार-यत्ती मकोटै आमक् जिगर छ हाँ}
यैई में आई एक हुश्यार तितिर किस्मक भिकारिक कमिंट..
* यौ अमीरोंक् खिलाप,एक आंदोलन छेङन छ।
दस रूपैं हैबेर कम,आब कैलै न ल्हिन छ।।
मलियाक उदाहरणोंल हम समजि सकनु कि यौ फ्यासबुक या फसकबुक दूहारों कैं जलूंणी,आपण उल्लू सिद करणी और आपणी भङांस निकालनी बुक छ।
-मूल रचना- गाौरव त्रिपाठी, हल्द्वानी* चौराई में बैठी-बैठी,कमर टेढि हैगै।
पैं द्वी रूपैं दिण में,यौ अमीरोंकि आम् मरिगै।
{खबरदार-यत्ती मकोटै आमक् जिगर छ हाँ}
यैई में आई एक हुश्यार तितिर किस्मक भिकारिक कमिंट..
* यौ अमीरोंक् खिलाप,एक आंदोलन छेङन छ।
दस रूपैं हैबेर कम,आब कैलै न ल्हिन छ।।
मलियाक उदाहरणोंल हम समजि सकनु कि यौ फ्यासबुक या फसकबुक दूहारों कैं जलूंणी,आपण उल्लू सिद करणी और आपणी भङांस निकालनी बुक छ।
~अनुवादक-राजेंद्र ढैला,काठगोदाम।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें